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शरीर को अपाहिज बना रहा है स्वादु भोजन: आचार्य जिनमणिप्रभ
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इन्दौर। जीवन मे आहार यानी भोजन का बहुत महत्व माना गया है। भोजन के चार प्रमुख कारक बताए गए है। क्या, कैसे, कब और क्यो भोजन किया जाय। पहले चौका कहा जाता था लेकिन बदलते समय के अनुसार भोजन के तरीके बदल गए। आज स्वादु भोजन के प्रति ज्यादा ध्यान दिया जाता है। जबकि भोजन के प्रति स्वाद , स्वास्थ्य और धर्म को महत्व दिया जाना चाहिए। आज स्वाद के चक्कर मे शरीर को बीमार या अपाहिज कर रहे हैं। वर्तमान में हमारा जीवन स्वाद के वशीभूत हो गया है। स्वास्थ्य और धर्म को दरकिनार कर दिया गया है।
यह बात सोमवार को महावीर बाग में जैन आचार्य जिनमणिप्रभ सूरीश्वर जी महाराज ने चातुर्मास के तहत ,जीवन मे आहार का महत्व, विषय पर श्रावक श्राविकाओं को संबोधित करते हुए कही। आचार्यश्री ने कहा कि आपको यह तय करना है कि भोजन के मामले में स्वाद जरूरी है स्वास्थ्य। धर्म शास्त्रों को एक तरफ रख भी दिया जाय तो साइंस भी कहता है कि रात्रि में किया भोजन पचता नही है। इससे पेट कहब होता है। और सारी बीमारियों की जड़ पेट ही होता है। पेट साफ रहेगा तो शरीर निरोगी रहेगा।
पड़ाव पल भर का मंजिल जनम जनम की
आचार्यश्री ने कहा कि हमे जीभ को नियंत्रण में रखना होगा तभी हैम स्वस्थ राह पाएंगे। जिस प्रकार किसी यात्रा के बीच ठहराव को पड़ाव कहा जाता है मंजिल तो और होती लेकिन यह विडंबना ही है कि हमने स्वाद रूपी पड़ाव को ही मंजिल मान लिया है। शरीर को शक्ति भक्च पदार्थो से ही जब मिल जाती है तो फिर अभक्च वस्तुओ को सेवन क्यो करना चाहिए। जिस प्रकार हैम भविष्य की चिंता करके धन संपत्ति सुदृढ़ करते है उसी प्रकार हम हमारे जीवन के भविष्य को भी ध्यान में रखना चाहिए और उसकी चिंता करना चाहिए
भोजन भी साधना के समान
आचार्यश्री ने कहा कि भोजन करना भी साधना करने के समान होता है। भोजन करते वक्त आपके विचार क्या है। स्वाद के प्रति राग द्वेष नही करना चाहिए। भोजन में जो भी है उसे प्रेम से ग्रहण करो। अच्छे दृष्टिकोण से से ग्रहण किया भोजन स्वाद, स्वास्थ्य और धर्म तीनो को परिपूर्ण करता है। भोजन लेते समय धर्म की दृष्टि अतिमहत्वपूर्ण होती है। सोमवार को महावीर बाग में पारस राखेचा, प्रकाश ठाकुरिया, पूनमचंद छाजेड़, श्रीमती आशा कोठारी, जयंती सिंघवी, दिनेश हुंडिया, मनोहर सुराणा, धर्मेंद्र मेहता सहित हजारों की संख्या में श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थे।
मंगलवार को समय का मूल्य विषय पर प्रवचन- श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ श्रीसंघ एवं चातुर्मास समिति के प्रचार सचिव संजय छांजेड़ एवं चातुर्मास समिति संयोजक छगनराज हुंडिया एवं डूंगरचंद हुंडिया ने जानकारी देते हुए बताया कि मंगलवार को समय का मूल्य क्या है विषय पर आचार्य श्री अपने प्रवचन में प्रकाश डालेंगे।